कलीसिया के पासवान की गवाही
मैं INLF कलीसिया का पासवान हूँ। मैं किस स्थिति मे था जब मुझे प्रभु ने आकर्षित किया और सेवा करने के लिये किस तरह बुलाया और कैसे इस्तेमाल कर रहा है। यह सब आपके साथ बाँटकर प्रभु के नाम की महिमा करना चाहता हूँ
जब मैं परमेश्वर मे नही था
मैं आन्ध्राप्रदेश के एक छोटे से गाँव पूण्डला मे रहता हूँ। मेरा छोटा सा परिवार है। अपने माता पिता का मैं एकलौता बेटा हूँ। मेरे परिवार मे किसी ने भी सच्चे परमेश्वर के बारे मे नही जाना। इतना ही नही मेरे पूर्वजों से लेकर मेरे पिताजी तक सब पूरी तरह से मूर्ति पूजा करते थे। मेरे पूर्वज जागरण करना, गृह देवता की पूजा करना, बलि चढ़ाना, बैताल की रंगोली बनाकर मूर्गियो की बलि चढ़ाते थे, भूतो को भगाते थे, पुरूष लोग औंरतो का भेस बनाकर गृह देवताओ को सिर पर रखकर पूरे गाँव मे घूमते थे। अगर किसी गाँव मे पूजा करना हो य़ा बलि चढ़ानी हो, तो वो हमारे ही परिवार से सलाह लेते थे और वो सब हमे ही करना पढ़ता था। लेकिन इस पूजा मे जितनी भी भेड़, बकरिया बलि चढ़ानी होती है, वह सब हमे ही बलि (मारना) चढ़ानी पड़ती थी। इस काम को हमारे पूर्वज खूब शराब पीकर, नशे मे नाचते खूदते हुए बलि चढ़ाते थे, और इस बलि मे आये हुए पशु का माँस, पूजा मे आये हुए नारियल, हल्दी के चावल सिर्फ हमारे ही परिवारो को खाना पड़ता था चाहे कितने दिन भी हो। माता का भेस बनाकर, ढोल बजाते हुए, देवी देवताओ के बारे मे पूरी रात कहानियाँ बताते थे। जादू टोना, मन्त्र तन्त्र, नजर उतारना, वशी करण मन्त्र, मन्त्रो के व्दारा कुत्तो का मुँह बन्द करना। इस तरह हमारे पिताजी तक यह सब होते हुए आये। 1960 जनवरी 1 को मेरा जन्म हुआ। मेरे जन्म से पहले 2 बच्चे पैदा होकर मरने से मेरी माँ सोचती थी कि इन देवताओ ने ही मेरे बच्चो को निगल लिया, यह सब कह कर मेरे पिताजी को इन कामो को करने से मना कर दिया। मैं एकलौता बेटा था, इसलिए मुझे बड़े लाड से पाला और बारहवी कक्षा तक पढ़ाया। मैं दुनिया दारी मे पड़ा हुआ था इसलिए पढ़ाई से ज्यादा मेरा ध्यान हर तरह के खेल खूद, फिल्मो के गीत, नाचना, अच्छे नाम कमाय़े हुए फिल्म कलाकारो की तरह आवाज बदल कर बात करना, उनकी तरह नाचना, लोगो को एक्टिंग करना सिखाना,प्ले बैक संगीत कार के रूप मे था और धूम्रपान करना, शराब पीना, इस तरह करता रहता था। स्कूल की ओर से जिला की तरफ से कबड्डी जीता और काँलेज के समय मे BEST NEGETIVE ROLE का पुरस्कार भी मिला। इस तरह इन चीज़ो की वजह से मैं अपनी पढ़ाई आगे को नही कर पाया। ऐसे चल रहा था कि अचानक मेरी माँ की तबियत खराब हो गई और वह पूरी तरह से न चलने वाली हालत मे हो गई। उस समय हमारा घर चलना ही बहुत मुश्किल हो गया था। लेकिन परमेश्वर की कृपा है कि उन दिनो मे मुझे दिल्ली पुलिस की नौकरी मिली और उसी साल मे मेरी शादी मेरे ही रिश्तेदारो की लड़की से हो गई (18.06.1986)। तब से हम दिल्ली मे रह रहे है। मेरी दो लड़किया है। मैं आन्ध्रा मे ही पूरी तरह दुनिया दारी मे था, लेकिन दिल्ली पुलिस बनने के बाद मैं रोज़ पीने लगा, रातो को 2 बजे घर आता था। किसी जगह मे कोई पार्टी या फंशन होता था तो मैं ही सबसे आगे होता था। उसकी वजह थी कि मैं हर फंशन और पार्टी मे गाना गाता था, नाचता था और लोगो का हर तरह से मनोरंजन करता था। मेरी पत्नी बचपन से ही चर्च जाती थी, प्रार्थना मे जाती थी परन्तु मुझसे शादी करने के बाद दिल्ली आकर यह सब छोड़कर घर तक सीमित होकर टी.वी सीरियलस और फिल्म देखते हुए पूरी तरह से प्रभु को भूल गई, और हर तरह से मेरा साथ दे रही थी। इस तरह बिना प्रभु मे रहते हुए हमारी जिन्दगी चल रही थी।
वह परिस्थितिया जिनके कारण हमने मन फिराया
मेरी पत्नी के एक चाचा है, उनका नाम येसूपादम है। उसके चाचा और मैं बचपन से ही बहुत अच्छे दोस्त है। उनकी शादी होकर 10 साल होने पर भी उनके बच्चे नही हुए। डाक्टरों को भी दिखाया और उन्होंने भी दोनो पति पत्नी के सारे इलाज किए और हर तरह के दवाईयाँ भी देकर कहा की दोनो के बच्चे नही होंगे। आखिर कार उन्होंने एक बच्ची को गोद लिया। बाद मे पता चला कि वह गोद ली हुई बच्ची जन्म से ही गूंगी और बहरी है। जब वह बच्ची 4 साल की हुई तब एक दिन उसने अनजाने मे तारीख निकली हुई दवाईयाँ खा ली। उसके कारण पूरे शरीर मे जहर बन गया और डाँक्टरो ने उसका इलाज किया और उस बच्ची को होश मे लाये और हमसे कहा की खतरा टल गया है। तब चाचा ने घर जाकर हाथ मे बाइबल लेकर अपनी आँखे बन्द करके खोली तो बाइबल मे यह वचन आया की तेरी दिवारो को नींव से गिरा दूँगा। इस वचन को पढ़कर उसने सोचा की डाँक्टरो ने तो कहा है कि बच्ची एक दम ठीक है, परन्तु यह बाइबल वचन कहता है कि बच्ची मर जायेगी। यह कैसे हो सकता है कहकर उसने उस वचन पर भरोसा नही किया क्योंकि वह नाम मात्र मसीह था। परन्तु जब वह फिर अस्पताल गया तो वह बच्ची मर गई थी। उस समय चाचा के दिमाग मे एक तरफ डाँक्टरो की बाते और दूसरी तरफ बाइबल का वचन चल रहा था, कि डाँक्टरो ने कहा बच्ची जिन्दा है और बाइबल ने कहा लड़की मर जायेगी। इस तरह बाइबल का वचन ही पूरा हुआ। तब उसने सोचा की डाँक्टरो ने कहा है कि हमारे बच्चे नही होंगे परन्तु बाइबल कहता है, मैं जो गर्भ देता हूँ क्या मैं कोख बन्द करूँ (यशायाह 66:9)? तब मैंने विश्वास किया परमेश्वर बच्चा दे सकता है। इसलिए हमारे विषय मे भी प्रभु की बात ही पूरी होगी कहकर विश्वास किया और पहले के विश्वास रहित जीवन के लिए पश्चाताप करके परमेश्वर पर भरोसे से दिन मे 8 घँटे प्रार्थना करता था कि एक साल के अन्दर मेरी पत्नी गर्भवती होनी चाहिए। इसी तरह जैसे उन्होंने प्रार्थना किया उसी प्रकार उनकी पत्नी गर्भवती हो गई। इसी प्रकार दूसरी बार भी डाक्टरो का नही प्रभु की बाते पूरी हुई, प्रभु की स्तुति हो। और लड़की ही होनी चाहिए करके 9 महीने तक उपवास की प्रार्थना करने से delivery के पहले ही प्रभु ने बाते की कि लड़कियाँ गोद मे उठाई जा रही है। इस तरह उनकी 4 लड़कियाँ हुई। इतना ही नही प्रभु ने उनको चंगाई का वरदान देकर रोगो को ठीक करते हुए, दुष्टात्मा को भगाते हुए, प्रभु उनके साथ रहा।
वह मेरा अच्छा दोस्त था वह मुझे जानता था की मैं कैसा हूँ, मुझे मनफिराव की जरूरत है नही तो हम नरक मे जायेंगे इसलिए हमें प्यार करके, हमे भी प्रभु पर विश्वास करना चाहिए करके हमे यह सब और ऊपर लिखी हुई बातो को हमे खत मे लिख कर भेजता था। मैंने जो जो किया उस से होने वाले परमेश्वर के क्रोध से मुझे और अपनी बेटी को बचाने के लिए, मनफिराव के लिए और परमेश्वर के आगमन का इन्तेजार करो कहकर चिट्ठी लिखते रहते थे। फिर भी हम परमेश्वर को अपने जीवन मे प्रथम स्थान नही दे पाये, लेकिन एक बार जब हम गाँव गये थे, तब मेरी पत्नी मरनेवाली हालत मे थी, उस समय मेरी पत्नी ने अपने चाचा से प्रार्थना करवाने पर यीशू मसीह के नाम से वो तुरन्त ठीक हो गयी। इस वजह से मेरी पत्नी का ध्यान उध्दार की ओर प्रभु की ओर आकर्षित होने लगा। यह इस प्रकार हुआ कि प्रार्थना सुनकर ठीक करने वाला परमेश्वर है इसलिए सच्चाई यह है कि जो जिन्दा है वही सुन सकता है। यीशू मसीह मर के जी उठा है इसलिए उसने सुनकर चंगा किया। लेकिन यीशू मसीह क्यो मरा? मनुष्य पापी है उस पाप को दूर करने के लिए अपना खून बहाकर पवित्र बनाकर हम लोगो को नरक से बचाने के लिए मरा। अगर मैं यीशू मसीह को अंगीकार नही करूंगी तो नरक मे जाऊँगी क्या? यहा पर हमे होने वाले थोड़े से दर्द को ही नही सह पा रहे तो नरक मे हमेशा कैसे उस आग मे जलते रहेंगे। इसलिए यीशू पर विश्वास करना ही चाहिए। क्योंकि चंगाई हुई है तो स्वर्ग और नरक भी असल मे है। मनुष्य को तो मरना ही पड़ेगा। यीशू हमारी जिन्दगी मे नही है तो नरक से नही बच सकते। इसलिए प्रभु मे विश्वास करना चाहिए करके पूरी तरह कोशिश किया पर हार कर सोचा कि आखिर कार उनके चाचा ने भी एक काँटे के कारण प्रभु पर पूर्ण भरोसा किया इसलिए मुझे भी एक काँटे की जरूरत है करके कम से कम इस तरह ही सही मैं प्रभु मे स्थिर रूप से विश्वास कर पाऊँगी लेकिन पति और बच्चो पर कोई तकलीफ आये तो इतना बदलाव नही आयेगा इसलिए मुझ पर ही कोई तकलीफ आये तो ही बदलूंगी । अगर वो साधारण सा रोग होगा तो आदत के तौर पर डाँक्टर के पास जाऊँगी तो ठीक हो जाऊँगी इसलिए न ठीक होने वाली बिमारी आये तो मृत्यु आने तक इस रोग की वजह से ही परमेश्वर मे स्थिर रह पाऊँगी इसलिए उसे कैंसर हो करके वह प्रार्थना करती रहती थी। एक बार अचानक पेट मे दर्द आने लगा पर आदत के अनुसार आन्ध्रा मे और दिल्ली मे डाँक्टरो को दिखाया और दवाईयाँ भी खाई पर कोई लाभ नही हुआ बल्कि और दर्द बड़ता गया। फिर डाँक्टरो की सलाह से आँलट्रासाँऊन्ड करवाने से पता चला कि बच्चे दाने की दाँयी तरफ एक गोला है जो 3.5 से.मी है। यह केवल आँपरेशन के अलावा दवाँईयो से बिल्कुल ठीक नही होगा। और कहा अगर आँपरेशन कराने मे देर हुई तो चार पाँच साल मे हमेशा के लिए बिस्तर पर रहना पड़ेगा और तब आँपरेशन कराने पर बच्चे दानी और दोनो पाईप नीकाले जायेंगे और 35 टाँके लगेंगे और यह भी कहा की अगर अभी आँपरेशन करवाया तो चार या पाँच टाँके से ही हो जायेगा। लेकिन मेरी पत्नी ने आँपरेशन करवाने से मना कर दिया और कहा की यह मुझे प्रार्थना करने पर परमेश्वर की ओर से दिया हुआ काँटा है। और मेरी पत्नी ने कहा कि मैंने कैंसर माँगा था पर एक गोला (सिस्ट) ही दिया इसलिए उसने परमेश्वर की स्तुति की और उस दिन से उसने अपने पापो को मान लिया, दिन भर बाइबल पढ़ती थी और प्रार्थना करती थी। पर मुझे गुस्सा आता था। तब मैंने डाँटा और कहा तुम मर जाओगी, तुम आँपरेशन क्यो नही करवाती ? तब उसने कहा कि डाँक्टरो की बातो को भी हराकर मेरे चाचा को बच्चे नही दिये क्या प्रभु ने ? जिनकी फाईल डाँक्टरो ने बन्द कर दी थी कि उनके कभी भी बच्चे नही होंगे। इस तरह अगर परमेश्वर की इच्छा हुई तो प्रभु मेरे इस गोले को भी निकाल देगा। अगर न भी निकाले तो भी कोई बात नही मैं प्रभु मे बढ़ती ही रहूँगी। और नरक से बच जाऊँगी तब मुझे और गुस्सा आ गया और मैंने चिल्ला के कहा की कोई प्रभु नही है अगर है तो भी वह गोले ठीक नही करता। पर वह मेरी बातो मे नही आई और प्रभु से प्रार्थना करती रही। मैंने कहा कि मैं देखता हूँ की प्रभु कैसे ठीक करता है, पर वह रोज़ बच्चो के साथ बैठकर प्रार्थना करती थी। परन्तु मैं तो अपनी बेटियों को फिल्म स्टार बनाना चाहता था इसलिए मैं रोज़ उन्हे नाचना सिखाता था और रोज़ सुबह पार्क मे लेजाकर exercise करवाता था। लेकिन मेरे मन मे यह था कि अगर वह मर गई तो हमारा कोई नही है इन दोनो बच्चो को मैं कैसे पालूँगा। मेरी स्थिति कैसी होगी, बहुत चिन्ता थी, फिर भी मैं यह सब बाहर को नही दिखाता था। पर अन्दर ही अन्दर टूटता रहता था। लेकिन मेरी पत्नी बहुत खुश रहती थी। कुछ दिन बीतने के बाद मैंने अपनी पत्नी से पूछा की दर्द नही आ रहा क्या तो उसने आश्चर्य सा जवाब दिया की दर्द नही आ रहा, पर मुझे विश्वास नही हो रहा था। मैंने एक दिन अकेले मे बाइबल खोला कि बाइबल मे क्या आयेगा, मेरी पत्नी का क्या होगा। तब बाइबल मे भजन सहिंता 118:18 आया कि परमेश्वर ने मेरी बड़ी ताड़ना की परन्तु मुझे मृत्यु के वश मे नही किया। इस वचन को पढ़कर मैं चकित हो गया, मैंने फिर से बाइबल खोला तो बार बार वही वचन आया। इस से मुझे यह पता चला की मेरी पत्नी को इस बिमारी से कुछ नही होगा यह सिर्फ हमारे मनफिराव के लिए आया है। तब से मैं उनके साथ प्रार्थना मे बैठने लगा। दोनो मिलकर चर्च मे भी जाने लगे। मैं तब भी बहुत पीता था, तम्बाकू खाता था और अपनी मर्जी की जिन्दगी जीता था। पर वचन सुनकर और पढ़ने से पाप को मानकर क्षमा माँगी, पर इन सबको छोड़कर मुझे क्या मिलेगा करके प्रार्थना करने पर (मत्ती 19:27,28) तब मैंने उन सब चीज़ो को छोड़ दिया। तब हम दोनो पति पत्नी ने नवम्बर 19, 1994 मे बपतिस्मा लेकर प्रभु मे नया जन्म लिया।
सेवा का बोझ था तब प्रभु ने हमे कैसे बुलाया
मैंने सोचा कि मैं पूरा बाइबल पढ़कर इसी के अनुसार सबको कहूँ यीशू पर भरोसा करो तो जो हिन्दू है वह यीशू पर कैसे भरोसा कर सकते है, मैं उन्हे कैसे बताऊँ, तो क्या फिर उन्हे नरक मे ही जाना पड़ेगा ? करके प्रार्थना करने पर, य़ीशू ने मुझे दर्शन मे (1 थिस्सलुनिकियो 5:21) दिखाया सब बातो को परखो जो अच्छी है उसे पकड़े रहो। तब मैंने उठकर बाइबल खोला तो यही सब लिखा हुआ था। तब परमेश्वर ने मुझे कुछ पुस्तके दिखाई, वह यह है कि भगवान कहलाने वाले हर एक का और यीशू मसीह के बीच मे क्या फरक है। तब मैंने उन पुस्तको को मंगवाकर पढ़ा। तब उन ग्रन्थो से पता चला की पाप का छुटकारा देनेवाला सिर्फ यीशू मसीह है और कुवाँरी के गर्भ मे और गौशाला मे पैदा होने वाला सिर्फ यीशू मसीह ही है और हर पाप के छुटकारे के लिए लहू की आवश्यकता है और यह सिर्फ यीशू ने ही किया है और पाप के लिए मर के, मृत्युम्जय होने वाला भी यीशू मसीह है। पुन्नामी नरक से बचाने वाला पापी मनुष्य को पैदा होने वाला पुत्र नही बल्कि परमेश्वर का पुत्र कहलाने वाला यीशू ही है । इस तरह हर एक रूप मे पता चला की सिर्फ यीशू ही सच्चा परमेश्वर है और इस सच्चाई को सबको बताना है करके मेरे अन्दर इच्छा आई। जो मिलता वह चाहे गरीब हो, अमीर हो या पुजारी हो उन सभो को यीशू के बारे मे बताने लगा और जो सच्चाई को अपनाते थे उन्हे मैं उनके किसी आस पास के चर्च मे जाने को कहता था। इसी तरह एक बहन को बताया की मूर्तियो मे प्रभु नही है, जब उस बहन ने विश्वास करके उध्दार पाया तो मैंने उन्हे उन्ही के पास के एक चर्च मे भेजा। उस चर्च वालो ने उस बहन को बपतिस्मा देने की खुशी मे दिल वाले दुल्हनियाँ ले जायेंगे यह फिल्म लगाई। इस कारण से उस बहन ने वो चर्च छोड़ दिया। जब मुझे पता चला तो मैं बहुत दुखी हुआ। यह लोग फिर क्यों उन सब लोगो को पाप मे गिरा रहे है, जिन्हे मैंने वचन सुनाया और उन्होंने मन फिराया, मैंने उन सबके लिए प्रार्थना करनी शूरू की।
कुछ दिनो के बाद मैं अचानक किसी के घर गया, वहा पर एक प्रभु का दास आया था। मैंने उन्हे कभी नही देखा था और न उन्होंने मुझे, लेकिन प्रभु की आत्मा उन पर आई और उन्होंने प्रवचन किया कि मेरे विषय मे प्रभु की क्या इच्छा है । वह यह है कि मेरे व्दारा आने वाले दिनो मे प्रभु कलीसिया बनवायेगा, अदभुत रीति से इस्तेमाल करेगा और मेरे शरीर मे वचन ही वचन है, आकाश से एक बड़ी रोशनी आई और उस रोशनी से मेरे ऊपर बहुत से बाइबल गिर रहे है, और कहा कि यह सब कुछ न होने के लिए शैतान 10 दिनों के अन्दर मेरी सड़क दुर्घटना करवाना चाहता है। तब से मैंने प्रार्थना करनी शुरू की कि अगर प्रभु की नज़र मे मैं उसके योग्य हुँ और वह मुझसे अपने काम करवाना चाहता है तो प्रभु ही मुझे बचायेगा। इसी प्रकार 10 दिनों के अन्दर हमारी सड़क दुर्घटना हुई परन्तु प्रभु ने हमे बचाया किसी को कुछ नही हुआ। मैंने प्रभु से प्रार्थना की कि मैं पासवान के लिए ठीक नही लगूँगा। तब उऩ्होंने दर्शन के व्दारा दिखाया की मुझसे भी बदसूरत व्यक्ति को प्रभु ने इस्तेमाल किया है और उनके हाथों से बाइबल लेकर मुझे प्रचार करने को कहा। तब मुझमे हिम्मत आ गई लेकिन फिर भी साहस नही कर पाया। एक बार मैं एक बड़ी सभा मे गया, वहा पर एक परमेश्वर के दास ने 3,00,000 लोगो के सामने मेरा नाम लेकर मुझे बुलाया और मुझे दिल्ली मे सेवा करने के लिए अभिषेक करके प्रार्थना किया। उसके बाद परमेश्वर ने मुझे चंगाई करने का वरदान भी दिया। यह इस प्रकार हुआ की मेरे पिताजी को अचानक लकुआ आ गया, मुँह बन्द हो गया, हाथ और पैर टेढ़े हो गये। तब मैंने और मेरी पत्नी ने मिलकर प्रार्थना किया, तब तुरन्त 20 मिन्ट के अन्दर मेरे पिताजी एक दम ठीक हो गये। उसी रात को सपने मे प्रभु ने मुझे काना नामक गाँव दिखाया और उस गाँव मे प्रभु ने पहला अदभुत कार्य किया, उन्होंने पानी को दाखरस बनाया था। इसी तरह तुम्हारे जीवन मे भी पहला अदभुत कार्य किया और चंगाई का वरदान दिया करके मुझे बताया। तब से अनेक अदभुत कार्य करते हुए पहले हमारे परिवार के व्दारा और बाहर के लोगो के साथ भी प्रभु ने अदभुत कार्य किया। इसके लिए भी प्रभु ने मुझे एक दर्शन दिया वह यह है कि चाँदी की थाली मे सोने का सेब सीधा मेरे हृदय मे प्रवेश किया और तुरन्त मेरे चारो ओर एक मेमना घूमने लगा और आकाश से आवाज़ आई की तेरे पास आने वाले हर एक को अपना मानकर प्रार्थना करने पर मैं तेरी प्रार्थना सुनकर उन्हें चँगा करूँगा। इसी तरह प्रभु ने कार्य किया चाहे वह कैंसर हो, एड्स हो, किसी के बच्चे न हो, और साधारण रूप से आने वाली हर प्रकार की बिमारी क्यों न हो उसे प्रभु चंगा करता हुआ आया इसलिए मैं प्रभु का धन्यावाद करता हूँ।
जनवरी 18,1997 मे प्रभु के उद्देश्य के अनुसार एक प्रत्येक कलीसिया के रूप मे खड़ा किया और उस कलीसिया का नाम भी प्रभु ने दिया “इण्डियन न्यू लाईफ फैलोषिप(रोमियो 6:4) ”। जब से हमने अलग कलीसिया बनाई तब से लेकर अनेक जगह मे जाकर प्रभु के बारे मे बताने के लिए, बहुतो को बपतिस्मा देने के लिए प्रभु ने अनुग्रह दिया। प्रमुख रूप से अविश्वासियो को स्थिर करने के लिए, जो नियम के अनुसार विश्वास नही रखते उन्हे स्थिर करने के लिए प्रभु ने सहायता की। सुसमाचार का विस्फोटक नामक पत्रिका को चलाने के लिए भी प्रभु ने कम्प्यूटर दिया और ट्रैक्स बनाने के लिए भी मदद किया। प्रमुख रूप से दिल्ली जैसे महानगर मे 2004 मे चर्च के लिए जगह खरीदने मे, 2007 मे चर्च बनाने मे प्रभु ने अनुग्रह दिखाया और2009 मे सेवा के लिए एक बहन के व्दारा मारूती वैन दिलाया और प्रकाशितवाक्य के बारे मे बताने वाला कलेण्डर बनाने के लिए प्रभु ने प्रेरणा दिया और हम उसे चला रहे है। सबसे बड़करप्रभु ने मुझे नौकरी करते हुए पौलुस की तरह सेवा करने को कहा। तब से प्रभु की सेवा मे बढ़ते हुए, किसी भी बड़पन, किसी ऊँचे नाम और किसी लालच मे न पड़ते हुए, पवित्रात्मा हमारे साथ रहते हुए हमे इस्तेमाल कर रहा है। आखिर website के व्दारा भी सुसमाचार पहुचाने के लिए प्रभु ने हमे इस तरह चुना इसलिए प्रभु का धन्यावाद हो। आमीन।।……….
सुसमाचार का विस्फोटक
तृत्व
जिस तरह प्रकृति में तृत्व दिखाई देता है उसी तरह परमेश्वर में भी तृत्व है | इसका मतलब यह नहीं की प्रकृति से परमेश्वर है | मगर बात यह है की परमेश्वर तृत्व है इसलिए परमेश्वर से सृष्टि की गयी हर चीज में तृत्व दिखाई देता है | अब हम तृत्व के कुछ विषयों को देखेंगे |
1. सूर्य : धूप, गर्मी, सूर्यरश्मी
2.पदार्थ: सक्त, द्रव और वायु.
3. अण्डा: छिल्का, सफेद, पीला
4. मनुष्य: शरीर, प्राण, आत्मा
5. शरीर: माँस, हड्डी, खून
6. प्राण(जीवन): सोचने के लिए विचार, किसको किस तरह प्यार करना चाहिए उसका विवेक, कुछ भी करने के लिए निर्णय लेना
7. आत्मा: मन की साक्षी, आराधना, अन्तर ज्ञान |
इस तरह परमेश्वर में भी तृत्व को हम देख सकते है – पिता, पुत्र, पवित्रात्मा | परमेश्वर तो एक ही है लेकिन वह अपना काम पूरा करने के लिए चुना गया समय में काम करने के तरीको के हिसाब से और उनके गुणों के हिसाब से परमेश्वर की पवित्रता प्रगट हुई है | जैसे कुछ लोग सोचते है की परमेश्वर तीन है | ऐसे सोचना गलत है, सूर्य तीन नहीं उसी प्रकार अण्डा भी | ख़ास करके हमने इंसान को भी तृत्व में देखा है | अगर तीनों को अलग – अलग करे तो इंसान ही नहीं रहेगा | इसी तरह परमेश्वर में तृत्व होने से परमेश्वर तीन नहीं है | हमने जितनी चीजों को परखा उन सब मे तृत्व होते हुए भी जिस तरह वह एक ही है उसी तरह परमेश्वर भी तृत्व होते हुए भी एक ही है | ये ही सृष्टिकर्ता है | मनुष्यों, जन्तुओ, पक्षियों, रेंगने वाले कीड़े, समुद्र, पेड़ पौधे, धरती, आकाश, सूर्य, चन्द्रमा, तारागण, जल, जलजन्तु, धरती के अन्दर के पैट्रोल, मिट्ठी की तेल, चाँदी, सोना, पीतल, लोहा, कोयला आदि यह सब परमेश्वर ने ही सृष्टि की है
उद्धार और चंगाई की वैद्यशाला
विश्वास करने वालों को ये चिह्न होँगे।
प्रिय भाईयों हमारे जीवन में बहुत तरह की समस्या आते रहते है। जीवन बहुत दुःख दायक लगने लगता है। मगर हमारे सामने आने वाली समस्या बहुत तरह के होते है। मगर उसमे अति मुख्य समस्या है बिमारी। अगर हम स्वस्थ रहते है तो हर तरह की समस्याओं का सामना करने का हिम्मत, सोच, और आशा भी होती है। जब हमारे पास बिमारियाँ होते हुए और किसी तरह का समस्या आने पर मानसिक तौर पर टूट कर और कुछ भी नहीं कर पाते है और बिमारी बढ़कर मृत्यु तक जाती है। इसलिए हमारे जीवन में समस्या तो रहेंगे ही रहेंगे। अगर उनका सामना करना है तो अस्पताल और दवाईयाँ तो है। मगर उन चीजों के द्वारा भी कोई फाईदा नहीं है। अच्छे डाक्टर नहीं है और कोई दवाईयाँ लेते है तो उसके ईरद गिर्द और बिमारियाँ आ जाते है। अस्पताल में तरह – तरह का जाँच करके बिमारी को औरे बड़ा कर देते है और इन चक्करों में इंसान इतना थक जाता है कि जी में जी नहीं रहती।
हमारे जीवन में आधा जीवन बिमारी को ठीक करने के यत्न में चला जाता है। तो फिर इन बिमारियों का समाधान क्या होंगे करके आप सोच सकते है। यह बहुत आसान तरीका है। वो मै अपने जीवन में अनुभव करके बताता हूँ। केवल बिमारी से ही नही बल्कि और समस्याओं से भी हमें बाहर निकाल सकता है। कुछ दिनों पहले एक 2 महीने के बच्चा बिमार होने से गर्दन मुड कर मुहँ से झाग आने लगा और आँख पलट गया। ऐसे में बच्चे के माता-पिता ने परमेश्वर के दास को बच्चे के विषय में बताया तो दास ने ईशु मसीह के नाम से परमेश्वर को विनती करने से वो बच्चा बिलकुल स्वस्थ है। इसी तरह एक और बच्ची है उसकी उमर पाँच साल है। वह एक हफ्ते से पेट कि दर्द से पीड़ित थी डाक्टरों की दवाओं से कोई फर्क नहीं पडा। हर एक समस्या से छुडाने वाले यीशु के नाम से परमेश्वर को विनती करके प्रार्थना कराए हुए पानी को पिलाने पर उसका पेट का दर्द चला गया। इतना ही नहीं इस तरह की बहुत से कार्य हुए। एड्स हो, केंसर हो या फिर इन दिनों में आने वाली किसी भी तरह की बिमारिया क्यों ना हो, यीशु मसीह के नाम से प्रार्थना करने वालों की विनती सुन कर परमेश्वर ठीक कर रहा है। आपरेशन करने वाले विषयों में भी यीशु पर भरोसा रखने से आपरेशन के बिना ही फोड़े हो, रसोली हो या फिर कुछ भी हो परमेश्वर ने ठीक करके उन्हें ज़िंदा रखा है। ये परमेश्वर भरोसा मंद परमेश्वर है। क्यों की बाईबल में याने कि 2013 साल के समय में जब यीशु मसीह इस दुनिया में था उनके पास आने वाले तरह – तरह के रोगियों पर तरस खा के उन्हें चंगा कर दिया। इतना ही नहीं यीशु मसीह कि मृत्यु तो हुई मगर जी उठा है। इस कारण तब से उन पर विश्वास रख कर यकीन के साथ प्रार्थना करने वाले सभी ने भलाई पायी है। इसलिए हम भी अपने जीवन में अनगिनित अदभुत कार्यों को देख चुके है। जिनके बच्चे नहीं उनको परमेश्वर ने बच्चे दिए है और बच्चों की पढाई के विषय में अच्छी बुद्द्दी दिया है और मानसिक तनाव लोगों कि चिंता दूर किया है।
इसलिए आपकी जरूरत कुछ भी हो (बिमारी हो या बेरोजगारी हो और परिवार में कोई भी समस्या क्यों न हो) हम आप के लिए प्रार्थना करके आपकी समस्या को दूर कारने के लिए विनती करेंगे। इसलिए आप इस मोके को ना खोए। परमेश्वर आपके हर एक जरूरत को जगत के उद्धारक जो परमेश्वर का पुत्र है उसी ईशु मसीह के नाम से पूरा करे और भी आप इस विषय में जानना चाहते है तो फोन या पात्र के द्वारा संपर्क करे। ऐसा करके आप अपने जीवन में बहुत से आशीष पाएँगे। आप केलिये और आपके जरूरतों के लिए परमेश्वर के दास प्रार्थना करेंगे। परमेश्वर अपने उस धन के अनुसार जो महिमा सहित मसीह यीशु में है तुम्हारी हर घटी को पूरा करेगा। आमीन।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।